संदेश

मई, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि हस्तांतरण पर प्रतिबंध | MP PESA नियम 2022 की धारा 4 की समझ

चित्र
अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि हस्तांतरण पर प्रतिबंध | MP PESA नियम 2022 की धारा 4 की समझ                  🟩 प्रस्तावना :👇 भारत में आदिवासी समाज की पहचान उसकी भूमि, जल, जंगल से जुड़ी हुई है। लेकिन वर्षों से आदिवासियों की भूमि उनसे छीनी जाती रही। इसी अन्याय को रोकने के लिए मध्यप्रदेश में PESA नियम 2022 लाए गए। इनमें भूमि प्रबंधन से जुड़ी धारा 4 विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।           🔷 धारा 4 का उद्देश्य: PESA नियम 2022 की धारा 4 का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की भूमि की रक्षा करना है। इसके अनुसार:                           👇   ✅ "अनुसूचित क्षेत्रों में कोई भी भूमि गैर-आदिवासी व्यक्ति या संस्था को बेची नहीं जा सकती।"      🔍 क्या कहता है नियम? MP PESA नियम 2022 (भूमि प्रबंधन - अध्याय 4) में यह स्पष्ट किया गया है कि: कोई भी व्यक्ति, जो आदिवासी नहीं है, आदिवासी से भूमि नहीं खरीद सकता। ग्रामसभा की अनुमति के बिना भूमि ...

मध्यप्रदेश में पेसा नियम 2022 के तहत न्यू ग्राम सभा के गठन की पूरी प्रक्रिया

चित्र
मध्यप्रदेश में पेसा नियम 2022 के तहत न्यू ग्राम सभा के गठन की पूरी प्रक्रिया                              परिचय  पेसा कानून (PESA Act) 1996 के तहत मध्यप्रदेश सरकार ने 4 दिसंबर 2022 को मध्यप्रदेश पंचायत अनुशासन और स्वशासन नियम, 2022 (MP PESA Rules 2022) को अधिसूचित किया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा को अधिक अधिकार देकर आदिवासी समाज को स्वशासन प्रदान करना है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि मध्यप्रदेश में नए ग्रामसभा का गठन पेसा नियमों के तहत किस प्रकार होता है।          1. ग्रामसभा क्या है? पेसा के अनुसार, ग्रामसभा एक संवैधानिक संस्था है जो गांव की सबसे बड़ी निर्णय लेने वाली इकाई होती है।  यह सभी वयस्क मतदाताओं का समूह है जो ग्राम की भौगोलिक सीमा में रहते हैं। लेकिन MP PESA Rules 2022 के तहत ग्रामसभा की परिभाषा और गठन प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक निर्धारित किया गया है।  2. नए ग्रामसभा गठन की आवश्यकता क्यों? पूर्व में पंचायत के स्तर पर ग्राम...

अनुसूचित क्षेत्रों में लघु वन उपज और मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022

चित्र
अनुसूचित क्षेत्रों में लघु वन उपज और मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022                     परिचय भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी जनजातियों की आजीविका और जीवन शैली का बड़ा हिस्सा वन संसाधनों पर निर्भर करता है। इन इलाकों में मिलने वाली लघु वन उपज (Minor Forest Produce - MFP) आदिवासियों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। मध्य प्रदेश में भी ऐसे कई इलाके हैं जहां आदिवासी समुदाय अपनी आजीविका के लिए वन उपज पर निर्भर हैं। इन संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन और उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई कानून बनाए हैं, जिनमें मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022 एक महत्वपूर्ण नियम है।          लघु वन उपज (MFP) क्या है?👇 लघु वन उपज से तात्पर्य वन से प्राप्त होने वाली उन वस्तुओं से है जो प्रमुख लकड़ी या भारी वन उत्पादों के अलावा होती हैं। ये उपजें आदिवासियों के लिए घरेलू उपयोग, व्यापार और जीविकोपार्जन के प्रमुख साधन होती हैं। पेसा नियम 2022 में शामिल 16 प्रकार की प्रमुख लघु वनोपज: हमारे यूट्यूब चैनल...

जल संसाधन और लघु सिंचाई: ग्रामसभा की भूमिका | म.प्र. पेसा नियम 2022 – अध्याय 5 की व्याख्या

चित्र
जल संसाधन,और लघु सिंचाई नियम 2022 जल संसाधन और लघु सिंचाई: ग्रामसभा की भूमिका | म.प्र. पेसा नियम 2022 – अध्याय 5 की व्याख्या                     भूमिका : जल ही जीवन है – यह वाक्य केवल एक कहावत नहीं, बल्कि आदिवासी क्षेत्रों में यह जीवन की असली रीढ़ है। मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022 के तहत जल संसाधनों और लघु सिंचाई योजनाओं पर ग्रामसभा को निर्णायक अधिकार दिया गया है। यह अध्याय जल व्यवस्था को ग्राम स्तर पर विकेन्द्रित कर स्वशासन और जल स्वराज्य को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है। क्या कहता है अध्याय 5 (जल संसाधन एवं लघु सिंचाई योजना और प्रबंधन)? म.प्र. पेसा नियम 2022 का यह अध्याय स्पष्ट करता है कि:👇 1. ग्रामसभा की अनुमति आवश्यक: किसी भी प्रकार की जल संसाधन विकास योजना जैसे बंधान, चेक डैम, तालाब गहरीकरण, कुओं की खुदाई आदि में ग्रामसभा की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य है। 2. स्थानीय जल स्रोतों पर ग्रामसभा का अधिकार: पारंपरिक जल स्रोत – जैसे नालों, झरनों, तालाबों आदि का उपयोग, संरक्षण और मरम्मत ग्रामसभा के अधिकार क्षेत्र में आता है। कोई भी बाहरी संस्...

जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत,tribal pride of india

चित्र
आदिवासी समाज का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गौरव भारत की विविधता भरी संस्कृति में जनजातीय समाज का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। जहाँ आधुनिकता की दौड़ में कई सांस्कृतिक पहचान खो गईं, वहीं जनजातीय समाज ने भारतीयता के मूल तत्वों को जीवित रखा। इस ब्लॉग पोस्ट में हम जनजातीय समाज की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक भूमिका पर प्रकाश डालेंगे। 1. भारतीय संस्कृति में जनजातीय समाज की भूमिका भारत की संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी और जीवित संस्कृतियों में से एक है। इसकी विशेषता इसकी विविधता में एकता है। इसमें आदिवासी समाज की भी गहरी भूमिका रही है। जनजातीय समाज ने भारतीय संस्कृति के मूल मूल्यों को अपने जीवन में आत्मसात किया। उनका जीवन प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहा है, जो भारतीय संस्कृति की आत्मा है। आध्यात्मिकता, सरलता और सामूहिक जीवन शैली उनके जीवन के आधार रहे हैं। 2. सांस्कृतिक आक्रमणों में जनजातीय समाज का प्रतिरोध इतिहास गवाह है कि जब-जब भारत पर विदेशी आक्रमण हुए, जनजातीय समाज ने सबसे पहले उनका प्रतिरोध किया। सिकंदर के भारत आगमन के समय आदिवासी क्षेत्रों में उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। मुग़ल औ...

अनुसूचित क्षेत्रों में गौण खनिज, खान और खनिज | अध्याय 6 | मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022

चित्र
  अनुसूचित क्षेत्रों में गौण खनिज, खान और खनिज | अध्याय 6, मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022                          प्रस्तावना : अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों का प्राकृतिक संसाधनों पर पारंपरिक अधिकार रहा है। लेकिन जब बात खनिज संपदा की आती है, तो इतिहास गवाह है कि इन्हीं क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा शोषण हुआ। इस पर अंकुश लगाने और ग्राम सभाओं को शक्ति देने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022 बनाए गए। इसका अध्याय 6 'गौण खनिज, खान और खनिज' पर केंद्रित है, जो अनुसूचित क्षेत्रों में खनिजों से जुड़े कार्यों में ग्राम सभा की भागीदारी सुनिश्चित करता है।          क्या हैं गौण खनिज?👇 गौण खनिज (Minor Minerals) वे खनिज होते हैं जो स्थानीय निर्माण और उपयोग के लिए काम आते हैं, जैसे – पत्थर, बालू, मुरम, मिट्टी आदि। ये खनिज भले ही साधारण लगें, लेकिन इनका आर्थिक मूल्य बहुत अधिक होता है, खासकर निर्माण कार्यों में। पेसा नियम 2022 के अध्याय 6 की मुख्य बातें:गौण खनिज       ...

PESA नियम 2022 – अध्याय 3: शांति एवं सुरक्षा समिति

चित्र
शांति एवं विवाद निवारण समिति   PESA नियम 2022 – अध्याय 3: शांति एवं सुरक्षा समिति (अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत विवाद समाधान व्यवस्था का संवैधानिक स्वरूप)                               प्रस्तावना भारत के अनुसूचित क्षेत्र जनजातीय परंपराओं, जीवनशैली, सामाजिक व्यवस्था और स्वशासन की विशिष्ट पहचान रखते हैं। इन क्षेत्रों में सदियों से सामाजिक विवादों को सुलझाने के लिए परंपरागत पंचायतें, बुजुर्गों की समितियाँ और जातीय परामर्श प्रणालियाँ कार्य करती आई हैं। मध्य प्रदेश PESA नियम 2022 का अध्याय 3, इन पारंपरिक व्यवस्थाओं को न केवल मान्यता देता है, बल्कि उन्हें संवैधानिक समर्थन भी प्रदान करता है। यह अध्याय ग्रामसभा को विवाद समाधान और शांति व्यवस्था बनाए रखने का कानूनी अधिकार देता है। 1. ग्रामसभा – न्याय और शांति की पहली इकाई ग्रामसभा न केवल विकास योजनाओं की स्वीकृति देती है, बल्कि गांव में शांति बनाए रखने और छोटे-मोटे विवादों को हल करने का अधिकार भी रखती है। यह व्यवस्था जनजातीय समाज की उस मान्यता पर आधारित है, जिसमें...

पेसा नियमावली 2022: ग्रामसभा का पुनर्जन्म | मध्यप्रदेश पेसा अधिनियम के 30 नियमों की गहराई से समझ pesa niyam explained

चित्र
हमारे चैनल से जुड़े संबिधान से संस्कृति तक पेसा नियमावली 2022: ग्रामसभा का पुनर्जन्म | मध्यप्रदेश पेसा अधिनियम के 30 नियमों की गहराई से समझ explained "पेसा कानून सिर्फ कागज पर नहीं, अब ज़मीन पर उतारने का समय है।" 4 दिसंबर 2022, यह तारीख आदिवासी स्वशासन की दिशा में मील का पत्थर है, जब मध्यप्रदेश सरकार ने "मध्यप्रदेश पंचायतों के लिए अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित प्रावधान नियम, 2022" (MP PESA Rules 2022)  को लागू किया।  👉इसमें कुल 30 नियम हैं — लेकिन ये केवल नियम नहीं, बल्कि ग्रामसभा के नवजीवन का संकल्प हैं।👍 इस ब्लॉग में हम इन नियमों को सिर्फ लिस्ट नहीं करेंगे, बल्कि गहराई से समझेंगे कि ये किस तरह आदिवासी समाज की आत्मा को छूते हैं।                                                        1-5: ग्रामसभा की नींव और स्वरूप               (संरचना, बैठकें, कार्य और भूमिका) 🇮🇳पहले 5 नियम ग्रामसभा की पहचान और का...

अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006: एक ऐतिहासिक अधिकार की वापसी(FRA act 2006 explained )

चित्र
To more click me अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006: एक ऐतिहासिक अधिकार की वापसी FRA 2006 🇮🇳भारत की आज़ादी के दशकों बाद भी देश की मूलवासी जनजातियाँ—आदिवासी और अन्य परंपरागत वन निवासी—अपने ही जंगलों में अजनबी बनी रहीं। उनके जीवन, संस्कृति और जीविका का आधार जंगल रहा है, लेकिन कानूनी मान्यता का अभाव उन्हें लगातार बेदखली, उत्पीड़न और विस्थापन का शिकार बनाता रहा।🇮🇳 इस पृष्ठभूमि में 2006 का वन अधिकार अधिनियम (FRA 2006) एक मील का पत्थर साबित हुआ।    FRA 2006: क्यों ज़रूरी था यह       कानून? इतिहास का अन्याय: औपनिवेशिक काल और उसके बाद भी वन विभाग ने आदिवासियों को जंगल से बाहर कर दिया था। कानूनी मान्यता का अभाव: सदियों से जंगल में बसे लोग "अवैध कब्जेदार" माने जाते थे। संविधान का उद्देश्य: आदिवासियों को उनके पारंपरिक अधिकार देना संविधान का नैतिक कर्तव्य था।      FRA  अधिनियम के प्रमुख प्रावधान: 1. व्यक्तिगत अधिकार: आदिवासियों को उनकी पीढ़ियों पुरानी खेती योग्य ज़मीन पर स्वामित्व अधिकार दिया जाता है...

ग्रामसभा का बढ़ता अधिकार: अब योजनाओं के लाभार्थी गाँव की जनता चुनेगी!

चित्र
  ग्रामसभा का बढ़ता अधिकार: अब योजनाओं के लाभार्थी गाँव की जनता चुनेगी! अधिकार जब जड़ों तक पहुँचे, तभी सच्चा स्वराज आता है । https://www.youtube.com/@prakashranjandwivedi5270 आजादी के इतने वर्षों बाद भी आदिवासी अंचलों की एक बड़ी पीड़ा यह रही है कि निर्णय उनके बारे में होते रहे, लेकिन निर्णयों में उनकी भागीदारी नहीं रही। लेकिन अब मध्यप्रदेश पेसा नियम 2022 ने इस दर्द को समझा है और एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत की है।   पेसा नियम 2022 का अध्याय–12 क्या कहता है?  " ग्रामसभा को सामाजिक क्षेत्रों की संस्थाओं और कार्यकर्ताओं पर नियंत्रण तथा विभिन्न हितग्राहीमूलक योजनाओं में हितग्राहियों के चिन्हांकन एवं चयन का अधिकार होगा।"                    🇮🇳 सीधे शब्दों में कहें तो:🇮🇳 अब कोई संस्था गाँव में बिना ग्रामसभा की अनुमति के काम नहीं कर सकती। कोई योजना गाँव में लागू होनी है, तो पहले ग्रामसभा तय करेगी कि उसका लाभ किन-किन ज़रूरतमंदों को मिलना चाहिए । यदि कोई कार्यकर्ता अपना काम ठीक से नहीं कर रहा है, तो ग्रामसभा उसे जवाबदेह बना सकती...

श्रम शक्ति की योजना पेसा नियम 2022

चित्र
पेसा नियम 2022 और श्रम शक्ति योजना: आदिवासी आत्मनिर्भरता की ओर एक सशक्त कदम                                 भूमिका : आदिवासी समाज की सामाजिक और आर्थिक मजबूती के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारें निरंतर प्रयासरत हैं। इसी दिशा में "पेसा अधिनियम 1996"                   🌹 और🌹    🇮🇳"मध्यप्रदेश पेसा नियम 2022"🇮🇳  ने ग्रामसभाओं को मजबूत बनाते हुए उन्हें विकास की धुरी पर लाया है। पेसा नियमों के अंतर्गत कई योजनाएँ लाई गई हैं, जिनमें "श्रम शक्ति योजना"        🌹एक महत्त्वपूर्ण पहल है।🌹  यह योजना न केवल ग्राम स्तर पर रोज़गार को बढ़ावा देती है, बल्कि स्थानीय संसाधनों का न्यायपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करती है।                  🇮🇳    श्रम शक्ति योजना क्या है?🇮🇳 श्रम शक्ति योजना का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों के युवाओं और श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर काम दिलवाना है, जिससे उन्...