जल संसाधन और लघु सिंचाई: ग्रामसभा की भूमिका | म.प्र. पेसा नियम 2022 – अध्याय 5 की व्याख्या

जल संसाधन,और लघु सिंचाई नियम 2022

पेसा नियम 2022

जल संसाधन और लघु सिंचाई: ग्रामसभा की भूमिका | म.प्र. पेसा नियम 2022 – अध्याय 5 की व्याख्या

                   भूमिका:

जल ही जीवन है – यह वाक्य केवल एक कहावत नहीं, बल्कि आदिवासी क्षेत्रों में यह जीवन की असली रीढ़ है। मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022 के तहत जल संसाधनों और लघु सिंचाई योजनाओं पर ग्रामसभा को निर्णायक अधिकार दिया गया है। यह अध्याय जल व्यवस्था को ग्राम स्तर पर विकेन्द्रित कर स्वशासन और जल स्वराज्य को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है।

क्या कहता है अध्याय 5 (जल संसाधन एवं लघु सिंचाई योजना और प्रबंधन)?

म.प्र. पेसा नियम 2022 का यह अध्याय स्पष्ट करता है कि:👇

1. ग्रामसभा की अनुमति आवश्यक:

किसी भी प्रकार की जल संसाधन विकास योजना जैसे बंधान, चेक डैम, तालाब गहरीकरण, कुओं की खुदाई आदि में ग्रामसभा की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य है।

2. स्थानीय जल स्रोतों पर ग्रामसभा का अधिकार:

पारंपरिक जल स्रोत – जैसे नालों, झरनों, तालाबों आदि का उपयोग, संरक्षण और मरम्मत ग्रामसभा के अधिकार क्षेत्र में आता है। कोई भी बाहरी संस्था बिना ग्रामसभा की इजाजत उपयोग नहीं कर सकती।

3. जल वितरण और उपयोग का स्थानीय नियमन:

ग्रामसभा यह तय कर सकती है कि किन फसलों में कितना पानी खर्च होगा और किस समय सिंचाई की अनुमति दी जाएगी। इससे पानी की बर्बादी रुकेगी और सभी किसानों को समान लाभ मिलेगा।

4. जल संरचनाओं में पारदर्शिता और जनभागीदारी:

किसी भी जल परियोजना में स्थानीय युवाओं को रोजगार, कार्य की निगरानी और लेखा परीक्षण की जिम्मेदारी ग्रामसभा निभाएगी।

5. पारंपरिक ज्ञान और जल संरक्षण:

आदिवासी समाज के पारंपरिक जल संरक्षण तरीकों जैसे बावड़ी, झिरिया, या पत्थर बंधान को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे जल की सतत उपलब्धता बनी रहेगी।

पेसा नियम क्यों ज़रूरी हैं जल संसाधनों के लिए?

         पूर्व में क्या होता था?👇

सरकारें जल परियोजनाएं बनाती थीं लेकिन स्थानीय लोगों से राय नहीं ली जाती थी। इससे संसाधनों का दुरुपयोग होता और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता था।

      अब क्या बदलाव आया है?👇

पेसा नियम 2022 ने ग्रामसभा को केंद्र में रखा है। अब योजनाएं नीचे से ऊपर बनेंगी – यानी स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार।

       एक उदाहरण से समझें:👇

   ग्राम – बिचपुरी, जिला डिंडोरी👇

यहां तालाब गहरीकरण के लिए ग्रामसभा ने प्रस्ताव पास किया। जल संसाधन विभाग को ग्रामसभा की सहमति लेनी पड़ी। काम में गांव के मज़दूर लगे, योजना ग्रामसभा के दिशा-निर्देशों में बनी, और अब गांव में सालभर सिंचाई संभव हो रही है।  

ग्राम बिलपुरी
               निष्कर्ष:

पेसा कानून के तहत जल संसाधनों पर ग्रामसभा का अधिकार केवल प्रशासनिक नहीं, यह आदिवासी जल स्वराज का मूल आधार है। यदि ग्रामसभाएं सजग हों और नियमों की सही जानकारी रखें, तो हर गांव जल-समृद्ध हो सकता है।

क्या आपके गांव में भी किसी जल योजना में ग्रामसभा की राय ली गई?
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