मुख्यमंत्री का पेसा महासम्मेलन – पर पेसा विषय ही ग़ायब!


पेसा महासम्मेलन

🛑 मुख्यमंत्री का पेसा महासम्मेलन – पर पेसा विषय ही ग़ायब!

दिनांक: 4 जून 2025

लेखक: [प्रकाश द्विवेदी]

ब्लॉग: tribalrightsmp.blogspot.com


🔴 वो मंच जिस पर पेसा की बात होनी थी, वहीं चुप्पी क्यों छाई रही?


आज का दिन, मध्यप्रदेश के पेसा क्षेत्र के लाखों आदिवासियों और हज़ारों पेसा मोबिलाइज़र्स पेसा समिति और कई आदिवासी अधिकारों के लिए ऐतिहासिक हो सकता था। Mp उमरिया जिला जनपद पाली में आयोजित पेसा समिति महासम्मेलन से उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री जनजातीय सशक्तिकरण और ग्रामसभा की ताकत को लेकर एक मज़बूत संदेश देंगे।


लेकिन अफ़सोस! पूरा कार्यक्रम बीत गया और मुख्यमंत्री ने पेसा एक्ट, भूरिया समिति, ग्रामसभा के अधिकार, या पेसा मोबिलाइज़र के जमीनी संघर्षों पर एक शब्द तक नहीं कहा।


क्या यह सम्मेलन सिर्फ़ औपचारिकता थी?


जब प्रदेश भर से मोबिलाइज़र, आदिवासी प्रतिनिधि, और जनपद स्तर की समितियाँ उमरिया,पाली पहुँची थीं, तब मंच पर से सिर्फ़ विकास योजनाओं की घोषणाएं हुईं। लेकिन क्या यह मंच केवल घोषणाओं का था, या वास्तविक जमीनी मुद्दों पर संवाद का?


मुख्यमंत्री जी, क्या ग्रामसभा की आत्मनिर्भरता पर बोलना अब जरूरी नहीं रहा?

क्या जिन मोबिलाइज़र की मेहनत से पेसा एक्ट गाँव-गाँव पहुँचा, वो सम्मान के लायक नहीं?


🧭 पेसा एक्ट की उपेक्षा – क्या यह नीति की विफलता है?


पिछले वर्षों में सरकार ने ग्रामसभाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एमपी पेसा नियम 2022 लागू किए, लेकिन अभी भी:


ग्रामसभा की बैठकें केवल काग़ज़ों पर हैं,


वन उपज का नियंत्रण कंपनियों के हाथ में है,


और मोबिलाइज़र बिना स्थायी व्यवस्था के असमंजस में हैं।



ऐसे में जब मुख्यमंत्री स्वयं पेसा महासम्मेलन में मौज़ूद हों, तो उनसे यह उम्मीद करना क्या गलत था कि वे ग्राम स्वराज और आदिवासी आत्मनिर्भरता पर दो टूक बात करें?


📢 मोबिलाइज़र और पेसा समितियों का अनसुनी आवाज़


हम वही लोग हैं जिन्होंने धूलभरे रास्तों से होते हुए दूर-दराज़ के गाँवों तक पेसा की मशाल पहुँचाई है।

हमने ग्रामसभा को समझाया, लिखा-पढ़ा, प्रशिक्षण लिया, ग्रामीणों को सशक्त किया।


लेकिन आज उस मंच से हमारे अस्तित्व को ही नज़रअंदाज़ कर दिया गया।



                          🔚 निष्कर्ष

पेसा बिना संवाद के नहीं जिंदा रह सकता


अगर सरकार को वाकई आदिवासी अधिकारों की परवाह है, तो केवल सम्मेलनों और मंचीय भाषणों से नहीं, नीतिगत संवाद और ज़मीनी कार्यों से बदलाव होगा।


हम माँग करते हैं:


1. मुख्यमंत्री पेसा पर खुलकर बोलें।



2. मोबिलाइज़र को सरकारी मान्यता और मानदेय में वृद्धि मिले।



3. ग्रामसभा की संपूर्ण शक्तियाँ धरातल पर लागू हों।


          ✊ हम चुप नहीं रहेंगे


यह ब्लॉग केवल आलोचना नहीं, एक चेतावनी है — पेसा की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता।

हम कल भी बोल रहे थे, आज भी बोलेंगे — और जब तक ग्रामसभा की ताक़त वापस न मिले, तब तक आवाज़ उठाते रहेंगे।

--- ज्यादा जानने के लिए मिलिए हमारे दूसरे पोस्ट पर

**#PESA_की_उपेक्षा_नहीं_सहेंगे**  

**#मोबिलाइज़र_को_सम्मान_मिले**  

**#ग्रामसभा_की_आवाज़_सरकार_तक_पहुंचे**


🎥 देखें: पेसा महासम्मेलन 2025 में पेसा की ही अनदेखी | जिला उमरिया - पाली

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