ग्रामसभा का बढ़ता अधिकार: अब योजनाओं के लाभार्थी गाँव की जनता चुनेगी!

 ग्रामसभा का बढ़ता अधिकार: अब योजनाओं के लाभार्थी गाँव की जनता चुनेगी!

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अधिकार जब जड़ों तक पहुँचे, तभी सच्चा स्वराज आता हैhttps://www.youtube.com/@prakashranjandwivedi5270

आजादी के इतने वर्षों बाद भी आदिवासी अंचलों की एक बड़ी पीड़ा यह रही है कि निर्णय उनके बारे में होते रहे, लेकिन निर्णयों में उनकी भागीदारी नहीं रही।

लेकिन अब मध्यप्रदेश पेसा नियम 2022 ने इस दर्द को समझा है और एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत की है।

  पेसा नियम 2022 का अध्याय–12 क्या कहता है?

 "ग्रामसभा को सामाजिक क्षेत्रों की संस्थाओं और कार्यकर्ताओं पर नियंत्रण तथा विभिन्न हितग्राहीमूलक योजनाओं में हितग्राहियों के चिन्हांकन एवं चयन का अधिकार होगा।"

                   🇮🇳सीधे शब्दों में कहें तो:🇮🇳

अब कोई संस्था गाँव में बिना ग्रामसभा की अनुमति के काम नहीं कर सकती।

कोई योजना गाँव में लागू होनी है, तो पहले ग्रामसभा तय करेगी कि उसका लाभ किन-किन ज़रूरतमंदों को मिलना चाहिए

यदि कोई कार्यकर्ता अपना काम ठीक से नहीं कर रहा है, तो ग्रामसभा उसे जवाबदेह बना सकती है।     

       इस बदलाव का असर क्या होगा?

1. पारदर्शिता बढ़ेगी: अब लाभ पाने वालों की सूची गाँव के लोग खुद तय करेंगे, जिससे भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और पक्षपात की संभावना कम होगी।

2. वास्तविक ज़रूरतमंदों को लाभ मिलेगा: गाँव की जनता जानती है कि कौन वाकई ज़रूरतमंद है। सरकार की फॉर्मेल रिपोर्टिंग नहीं, अब ज़मीन की सच्चाई चलेगी।

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3. कार्यकर्ताओं की जवाबदेही तय होगी: जो कार्यकर्ता सिर्फ़ कागज़ों पर काम कर रहे थे, अब उन्हें गाँव की नज़रों से काम करना होगा।

4. सामाजिक संस्थाओं की मनमानी खत्म: अब कोई भी संस्था ग्रामीण क्षेत्र में योजनाएं लागू करने से पहले ग्रामसभा से अनुमोदन लेगी।

       ग्रामसभा को ये अधिकार क्यों ज़रूरी हैं?

 वर्षों से आदिवासी क्षेत्रों में योजनाएं बनाई जाती रहीं, लेकिन वे योजना "जड़ों" तक नहीं पहुँच सकीं। क्योंकि गाँव के लोगों की ज़रूरतों को पहचाना ही नहीं गया।

अब यह अधिकार सिर्फ़ एक क़ानूनी धारा नहीं, बल्कि गाँव की "न्याय पंचायत" की पुनर्स्थापना है। जब निर्णय गाँव के बीच होंगे, तभी गाँव की आवाज़ असली विकास का मार्ग तय करेगी।

         🌹ग्रामसभा क्या-क्या कर सकती है?🌹

हितग्राही चयन में नाम जोड़ या हटाकर अंतिम सूची बना सकती है।

कार्यकर्ताओं की उपस्थिति और कार्य की गुणवत्ता पर निगरानी रख सकती है।

यह देख सकती है कि योजनाएं वाकई लागू हो रही हैं या सिर्फ़ कागज़ों पर हैं।

सामाजिक संस्थाओं की रिपोर्टिंग ग्रामसभा को देना अनिवार्य होगा।

        🇮🇳अब गाँव जागेगा, और अधिकार मांगेगा!🇮🇳

 "हम सरकार की कृपा नहीं, अपने हक़ का शासन चाहते हैं।"

हर ग्रामवासी को अब जागरूक होना होगा। यदि ग्रामसभा में भाग नहीं लेंगे, तो यह ऐतिहासिक अधिकार भी सिर्फ़ एक कागज़ पर छपा कानून बनकर रह जाएगा। इसलिए:

                   हर ग्रामसभा में जाएं।

योजनाओं के बारे में जानकारी रखें।

चयन प्रक्रिया में हिस्सा लें।

संस्थाओं से सवाल पूछें।

                           निष्कर्ष:

पेसा कानून का यह प्रावधान आदिवासी स्वशासन की नींव को मज़बूत करता है। अब अधिकार सिर्फ़ संविधान की किताबों में नहीं, बल्कि गाँव की चौपाल पर गूंजेगा। यही है असली लोकतंत्र।

                           उदाहरण👇

दि गाँव में 10 जॉब कार्ड धारक है, तो समिति और ग्राम सभा तय कर सकेगी की जॉब किस -किस को देना है ज्यादा अवश्यकता किसे है 

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