मध्यप्रदेश में पेसा नियम 2022 के तहत न्यू ग्राम सभा के गठन की पूरी प्रक्रिया
मध्यप्रदेश में पेसा नियम 2022 के तहत न्यू ग्राम सभा के गठन की पूरी प्रक्रिया
परिचय
पेसा कानून (PESA Act) 1996 के तहत मध्यप्रदेश सरकार ने 4 दिसंबर 2022 को मध्यप्रदेश पंचायत अनुशासन और स्वशासन नियम, 2022 (MP PESA Rules 2022) को अधिसूचित किया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा को अधिक अधिकार देकर आदिवासी समाज को स्वशासन प्रदान करना है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि मध्यप्रदेश में नए ग्रामसभा का गठन पेसा नियमों के तहत किस प्रकार होता है।
1. ग्रामसभा क्या है?
पेसा के अनुसार, ग्रामसभा एक संवैधानिक संस्था है जो गांव की सबसे बड़ी निर्णय लेने वाली इकाई होती है।
यह सभी वयस्क मतदाताओं का समूह है जो ग्राम की भौगोलिक सीमा में रहते हैं।
लेकिन MP PESA Rules 2022 के तहत ग्रामसभा की परिभाषा और गठन प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक निर्धारित किया गया है।
2. नए ग्रामसभा गठन की आवश्यकता क्यों?
पूर्व में पंचायत के स्तर पर ग्रामसभा मानी जाती थी, जिससे कई गांवों की आवाज दब जाती थी। पेसा नियम 2022 के तहत अब प्रत्येक राजस्व गांव (Revenue Village) के लिए अलग-अलग ग्रामसभा बनाई जा रही है ताकि हर गांव का आत्मनिर्णय और विकास सुनिश्चित हो सके।
3. ग्रामसभा गठन की कानूनी आधारशिला
पेसा नियम 2022 की धारा 3, 4 और 5 में ग्रामसभा के गठन, अधिकार और कार्यप्रणाली का उल्लेख है।
मुख्य बिंदु
प्रत्येक राजस्व गांव में एक स्वतंत्र ग्रामसभा बनेगी।
जहां एक राजस्व गांव में कई टोले/पाड़े/फालियां हों, वहां आवश्यकता अनुसार उप-ग्रामसभा (Sub Gram Sabha) का गठन हो सकता है।
4. ग्रामसभा गठन की प्रक्रिया (Step-by-Step Process)
चरण 1: राजस्व गांव की पहचान
विकासखंड स्तर पर BDO द्वारा पंचायत सचिवों से राजस्व गांवों की सूची मांगी जाती है।
जहां ग्राम पंचायत में एक से अधिक राजस्व गांव हों, उनकी सूची अलग की जाती है।
चरण 2: प्रस्ताव तैयार करना
ग्राम पंचायत सचिव, सरपंच और पेसा मोबिलाइजर मिलकर प्रत्येक राजस्व गांव के लिए ग्रामसभा गठन प्रस्ताव तैयार करते हैं।
प्रस्ताव में गांव की भौगोलिक सीमा, जनसंख्या, परंपरागत सामाजिक संरचना का विवरण शामिल होता है।
🔹 नवीन ग्राम सभा गठन करने की आवश्यकता कब होती है?
जब किसी क्षेत्र विशेष में ग्राम सभा सक्रिय नहीं है।
जब जनसंख्या, भौगोलिक दूरी या सामाजिक संरचना के आधार पर एक नई ग्राम सभा की मांग होती है।
जब ग्रामीण जन स्वयं निर्णय लेना चाहते हैं कि वे किस ग्राम सभा में सम्मिलित होना चाहते हैं।
चरण 3: ग्रामसभा की बैठक बुलाना
सभी पात्र मतदाताओं को सूचना दी जाती है।
पारंपरिक मुखिया (मांझी, पटेल, प्रधान आदि) की भूमिका को सम्मान दिया जाता है।
बैठक में ग्रामसभा गठन का प्रस्ताव रखा जाता है।
चरण 4: प्रस्ताव पारित करना
उपस्थित ग्रामीण जन सर्वसम्मति या बहुमत से प्रस्ताव को पारित करते हैं।
ग्रामसभा की सीमाएं, संरचना और परंपरागत व्यवस्था की स्वीकृति ली जाती है।
📄 जरूरी दस्तावेज़ और सूचनाएं
प्रस्ताव का प्रारूप (जैसा कि आपने भेजी गई फाइलों में देखा)
ग्रामवासियों के हस्ताक्षर युक्त सहमति पत्र
क्षेत्र की नक्शा (मानचित्र)
जनसंख्या विवरण
जातीय संरचना (ST/OBC/General आदि)
घरों की संख्या और टोलों की जानकारी
चरण 5: अनुमोदन और पंजीयन
प्रस्ताव को पंचायत स्तर से जनपद पंचायत में भेजा जाता है।
जनपद पंचायत CEO/BDO प्रस्ताव की पुष्टि करके ग्रामसभा के गठन की अधिसूचना जारी करते हैं।
नई ग्रामसभा को ग्रामसभा रजिस्टर में दर्ज किया जाता है।
चरण 6: ग्रामसभा का पहला आयोजन
ग्रामसभा के पहले आयोजन में अध्यक्ष (प्रायः वरिष्ठ नागरिक या परंपरागत मुखिया) का चयन किया जाता है।
ग्रामसभा की कार्यप्रणाली, नियम और समितियों का गठन किया जाता है।
संशोधित चरण 5: अनुमोदन और पंजीयन (Updated Step 5)
ग्रामसभा गठन का प्रस्ताव ग्रामसभा की बैठक में पारित होने के बाद ग्राम पंचायत सचिव और पेसा मोबिलाइजर द्वारा जनपद पंचायत कार्यालय के माध्यम से अनुविभागीय अधिकारी (SDM) को भेजा जाता है।
SDM कार्यालय प्रस्ताव की समीक्षा करता है और यदि सब कुछ नियमों के अनुरूप हो, तो प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान करता है।
स्वीकृति के बाद ग्रामसभा को अधिसूचित (notified) किया जाता है।
नई ग्रामसभा को पंचायत रजिस्टर एवं ग्रामसभा रजिस्टर में दर्ज किया जाता है।
6. चुनौतियाँ और समाधान
ग्रामसभा की जानकारी की कमी निरंतर प्रशिक्षण और जनजागरण की कमी
पारंपरिक और प्रशासनिक ढांचे में मतभेद,संवाद और समन्वय का निर्माण
दस्तावेजी प्रक्रिया में जटिलता सरल भाषा में प्रशिक्षण सामग्री और सहयोग
🧾 महत्वपूर्ण बातें
ग्राम सभा गठन पूरी तरह ग्रामवासी आधारित प्रक्रिया है।
इसमें प्रशासन की भूमिका केवल सुविधा और सत्यापन की होती है।
अधिसूचना के बाद ग्राम सभा को स्वशासन, लघु वनोपज, खनिज, जल-जंगल-ज़मीन आदि पर अधिकार प्राप्त होते हैं।
📢 पेसा कानून और नवीन ग्राम सभा: एक क्रांतिकारी कदम
ग्राम सभा का गठन केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आदिवासी स्वराज की दिशा में बड़ा कदम है। पेसा कानून के तहत ग्राम सभा को इतनी शक्ति दी गई है कि वह स्थानीय विकास, वन अधिकार, परंपरागत संस्कृति और स्वायत्तता की रक्षा कर सकती है।
नवीन ग्राम सभा का गठन इस दिशा में एक नई शुरुआत हो सकती है।
निष्कर्ष
MP PESA Rules 2022 के तहत ग्रामसभा का गठन आदिवासी स्वशासन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यदि इस प्रक्रिया को सही ढंग से लागू किया जाए, तो यह न केवल स्थानीय लोकतंत्र को सशक्त करेगा, बल्कि आदिवासी समाज की सांस्कृतिक और आर्थिक आत्मनिर्भरता को भी मजबूती देगा।
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