PESA नियम 2022 – अध्याय 3: शांति एवं सुरक्षा समिति
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शांति एवं विवाद निवारण समिति |
(अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत विवाद समाधान व्यवस्था का संवैधानिक स्वरूप)
प्रस्तावना
भारत के अनुसूचित क्षेत्र जनजातीय परंपराओं, जीवनशैली, सामाजिक व्यवस्था और स्वशासन की विशिष्ट पहचान रखते हैं। इन क्षेत्रों में सदियों से सामाजिक विवादों को सुलझाने के लिए परंपरागत पंचायतें, बुजुर्गों की समितियाँ और जातीय परामर्श प्रणालियाँ कार्य करती आई हैं।
मध्य प्रदेश PESA नियम 2022 का अध्याय 3, इन पारंपरिक व्यवस्थाओं को न केवल मान्यता देता है, बल्कि उन्हें संवैधानिक समर्थन भी प्रदान करता है। यह अध्याय ग्रामसभा को विवाद समाधान और शांति व्यवस्था बनाए रखने का कानूनी अधिकार देता है।
1. ग्रामसभा – न्याय और शांति की पहली इकाई
ग्रामसभा न केवल विकास योजनाओं की स्वीकृति देती है, बल्कि गांव में शांति बनाए रखने और छोटे-मोटे विवादों को हल करने का अधिकार भी रखती है।
यह व्यवस्था जनजातीय समाज की उस मान्यता पर आधारित है, जिसमें विवादों का समाधान आपसी संवाद, समझाइश और सामूहिक निर्णय से होता है।
🇮🇳 ग्रामसभा के प्रमुख अधिकार –🇮🇳
आपसी लड़ाई-झगड़े, भूमि विवाद, पारिवारिक कलह, चरित्र हनन जैसे मामलों की प्राथमिक सुनवाई
समाज के बुजुर्गों और प्रतिनिधियों के माध्यम से समझौता कराना
सामाजिक चेतावनी देना, सार्वजनिक क्षमा याचना कराना
2. परंपरागत न्याय व्यवस्था को मान्यता
PESA नियम यह स्पष्ट करता है कि अनुसूचित क्षेत्रों में पहले से प्रचलित जो सामूहिक विवाद निपटारे के तंत्र हैं —
जैसे ‘जात पंचायत’, ‘समाज की बैठक’, ‘गांव के बुजुर्गों का निर्णय’ — उन्हें ग्रामसभा के अंतर्गत औपचारिक मान्यता दी जाएगी।
इसके लाभ –
स्थानीय भाषा, संस्कृति और रीति-रिवाजों को ध्यान में रखते हुए न्याय होता है
लोगों में न्याय प्रणाली के प्रति भरोसा बढ़ता है
अदालतों पर बोझ कम होता है, और समय की बचत होती है
3. गंभीर मामलों में सीमाएँ और सहयोग
PESA यह भी सुनिश्चित करता है कि ग्रामसभा को केवल सीमित अधिकार होंगे।
गंभीर मामलों में क्या होगा –
हत्या, बलात्कार, डकैती, मानव तस्करी जैसे गंभीर आपराधिक मामलों पर ग्रामसभा केवल प्रारंभिक चर्चा कर सकती है
अंतिम कार्रवाई प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था द्वारा ही की जाएगी
ग्रामसभा की भूमिका होगी – सच को सामने लाना, स्थानीय गवाहों को जोड़ना, प्रशासन को सहयोग देना
4. दंड प्रणाली – मानवाधिकारों का सम्मान
PESA नियम यह स्पष्ट करता है कि ग्रामसभा कोई भी शारीरिक दंड, आर्थिक वसूली, या अमानवीय सजा नहीं दे सकती
केवल ये दंड संभव हैं –👇
🌹 सामाजिक चेतावनी
🌹 सार्वजनिक माफी मंगवाना
🌹ग्रामसभा के समक्ष गलती स्वीकार कराना
यह क्यों जरूरी है?👇
ताकि परंपरागत न्याय प्रणाली भी भारतीय संविधान और मानवाधिकारों की मूल भावना के अनुरूप रहे।
5. उद्देश्य – न्याय को जन-जन तक पहुंचाना
यह अध्याय दिखाता है कि न्याय केवल अदालतों में नहीं होता — गांव की पंचायत, बुजुर्गों, और समाज की समझदारी से भी न्याय संभव है।
इससे समाज में विश्वास, आत्मसम्मान और न्याय की पहुंच सुनिश्चित होती है। यह प्रणाली ग्राम स्वराज और आत्मनिर्भरता की भावना को मजबूती देती है।
निष्कर्ष
PESA नियम 2022 का यह अध्याय संविधान की उस भावना को मूर्त रूप देता है, जिसमें जनजातीय क्षेत्रों की पहचान, संस्कृति और स्वशासन को संजोने का संकल्प है।
ग्रामसभा को विवाद समाधान का अधिकार देना, दरअसल भारत की न्याय प्रणाली को नीचे से ऊपर की ओर लोकतांत्रिक बनाना है। यह सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि जनजातीय समाज के आत्म-सम्मान, आत्म-निर्णय और सामाजिक न्याय का सम्मान है।
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