पेसा नियमावली 2022: ग्रामसभा का पुनर्जन्म | मध्यप्रदेश पेसा अधिनियम के 30 नियमों की गहराई से समझ pesa niyam explained


Mobelizer bathak

पेसा नियम 2022


पेसा नियमावली 2022: ग्रामसभा का पुनर्जन्म | मध्यप्रदेश पेसा अधिनियम के 30 नियमों की गहराई से समझ explained


"पेसा कानून सिर्फ कागज पर नहीं, अब ज़मीन पर उतारने का समय है।"


4 दिसंबर 2022, यह तारीख आदिवासी स्वशासन की दिशा में मील का पत्थर है, जब मध्यप्रदेश सरकार ने "मध्यप्रदेश पंचायतों के लिए अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित प्रावधान नियम, 2022" (MP PESA Rules 2022) को लागू किया। 

नियम 2022
👉इसमें कुल 30 नियम हैं — लेकिन ये केवल नियम नहीं, बल्कि ग्रामसभा के नवजीवन का संकल्प हैं।👍


इस ब्लॉग में हम इन नियमों को सिर्फ लिस्ट नहीं करेंगे, बल्कि गहराई से समझेंगे कि ये किस तरह आदिवासी समाज की आत्मा को छूते हैं।                                                       1-5: ग्रामसभा की नींव और स्वरूप

             (संरचना, बैठकें, कार्य और भूमिका)

🇮🇳पहले 5 नियम ग्रामसभा की पहचान और कार्यप्रणाली तय करते हैं।🇮🇳

अब ग्रामसभा एक "औपचारिक सभा" नहीं, बल्कि नीतिगत निर्णय लेने वाली संस्था है।

हर गांव की ग्रामसभा 3 महीने में कम से कम एक बार बैठक करेगी — और इस बैठक का एजेंडा केवल सरकारी योजनाएँ नहीं, बल्कि जन-संवाद, लोक-नीति और संरक्षण होगा।

6-13: संसाधनों पर ग्रामसभा का स्वशासन

(जल, जंगल, जमीन, खनिज, वनोपज, जैव विविधता)

इन नियमों का मूल भाव है:

"जो संसाधन तुम्हारे हैं, उनके स्वामी भी तुम हो।"

खनिज, जल स्रोत, लघु वनोपज जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर ग्रामसभा की सहमति या असहमति अब बाध्यकारी है।

पहले जो अधिकार वन विभाग, खनिज विभाग या बाहरी कंपनियों के पास थे, अब ग्रामसभा की अनुमति के बिना कोई छू भी नहीं सकता।

14-17: संस्कृति, पहचान और परंपरा का सम्मान

         (रीति-रिवाज, पारंपरिक नेतृत्व, ज्ञान)

इन नियमों से सरकार स्वीकार करती है कि विकास केवल सड़क-बिजली से नहीं, बल्कि संस्कृति की रक्षा से होता है।
ग्रामसभा अब अपने रीति-रिवाज तय करने, पारंपरिक नेता को मान्यता देने और स्थानीय ज्ञान को संरक्षित करने का अधिकार रखती है।

18-21: योजनाओं पर अंतिम मुहर ग्रामसभा की

कोई भी सरकारी योजना — चाहे वो मनरेगा हो, आवास योजना हो या पंचायत की अपनी योजना — ग्रामसभा की मंजूरी के बिना आगे नहीं बढ़ेगी।

कार्यों की गुणवत्ता, ठेकेदार की निगरानी, भुगतान में पारदर्शिता — सब कुछ ग्रामसभा के अधिकार क्षेत्र में है।

   22-24: सामाजिक नियंत्रण के अधिकार

शराब बिक्री पर रोक लगाने का अधिकार अब ग्रामसभा के पास है।

दहेज, बाल विवाह, नशाखोरी जैसे सामाजिक बुराइयों को गांव से मिटाने का दायित्व अब ग्रामसभा को सौंपा गया है।

ग्राम सुरक्षा योजना (गांव की खुद की सुरक्षा व्यवस्था) बनाना अब ग्रामसभा का काम है।


25-27: जवाबदेही और पारदर्शिता की ताकत


अब ग्राम पंचायत को हर कार्य की जानकारी ग्रामसभा को देना अनिवार्य है।


अधिकारी भी ग्रामसभा के प्रति जवाबदेह होंगे — यानी अब जनता पूछेगी, सरकार जवाब देगी।


28-30: प्रशिक्षण, सशक्तिकरण और अनुपालन


ग्रामसभा को अधिकार देने के साथ-साथ उन्हें प्रशिक्षित करने और जागरूक करने की जिम्मेदारी भी सरकार की है।


अंतिम तीन नियम सुनिश्चित करते हैं कि ये केवल नियम ना रहें — बल्कि हर गांव की ज़मीन पर लागू हों, और हर व्यक्ति को लाभ मिले।


  👍पेसा का असली अर्थ क्या है?👍


पेसा का अर्थ है — "जनता खुद अपने लिए निर्णय ले",

ना कि बाहर से कोई अधिकारी या कंपनी आकर फैसले थोप दे।

ग्रामसभा अब केवल एक बैठक नहीं, ग्राम का संसद है।

यह कानून कहता है:


      "हमारा गांव, हमारे लोग, हमारे निर्णय"


                            आगे क्या?👉

हर ग्रामसभा को चाहिए कि वह इन नियमों को समझे, लागू करे और लिखित दस्तावेज़ में रखे।

ग्रामसभा की बैठकों में इन नियमों को पढ़ा जाए

युवाओं को इन अधिकारों के लिए सोशल मीडिया और ज़मीनी स्तर पर अभियान चलाना चाहिए।

                          निष्कर्ष:

मध्यप्रदेश में पेसा कानून की नियमावली लागू हो चुकी है — अब बारी है कि हम, आप और हमारी ग्रामसभाएं इसे एक जीवंत शक्ति में बदलें।

पेसा का सपना तभी पूरा होगा जब ग्रामसभा जागेगी, बोलेगी और निर्णय लेगी।


क्या आप अपने गांव की ग्रामसभा को ये 30 नियम बताने के लिए तैयार हैं?

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      ज्यादा जानने के लिए मिलिए नेक्स्ट पोस्ट पर        

               हमारी ग्रामसभा, हमारी ताकत है।

                       🌹 🙏धन्यवाद 🙏🌹

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