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PESA NCOG क्या है? | पेसा ग्रामों की डिजिटल निगरानी और जियो-इंफॉर्मेटिक्स की नई दिशा

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  PESA NCOG क्या है? | पेसा ग्रामों की डिजिटल निगरानी और जियो-इंफॉर्मेटिक्स की नई दिशा                   परिचय: भारत के आदिवासी क्षेत्रों में शासन को लोकतांत्रिक और स्थानीय बनाने के लिए पेसा कानून 1996 (PESA Act) एक ऐतिहासिक कदम था। लेकिन जबतक इसकी निगरानी और क्रियान्वयन पारदर्शी नहीं होगा, तब तक इसका वास्तविक लाभ समुदायों को नहीं मिलेगा। इसी उद्देश्य से अब भारत सरकार का एक तकनीकी संगठन — NCOG (National Centre for Geo-informatics) पेसा ग्रामों के लिए जिओ-टैगिंग और डिजिटल निगरानी का काम कर रहा है। 🔷 PESA कानून क्या है? (संक्षेप में) PESA (Panchayats Extension to Scheduled Areas) Act, 1996 भारत के उन जनजातीय क्षेत्रों पर लागू होता है जो अनुसूचित क्षेत्र घोषित हैं। इस कानून का उद्देश्य है कि गाँवों की ग्रामसभा को निर्णय लेने का अधिकार मिले — जैसे: जल, जंगल, ज़मीन पर स्वशासन खनिज, वन उपज और प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण परंपरागत विधियों से ग्राम न्याय 🔷 NCOG क्या है? NCOG (National Centre for Geo-Informatics) भारत सरकार का एक डिजिटल प्रको...

CM मोहन यादव की ऐतिहासिक बैठक: पेसा एक्ट और वनाधिकार पर दिए गए 6 बड़े निर्देश | Tribal Rights 2025"

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6 जुलाई 2025   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की ऐतिहासिक बैठक: पेसा और वनाधिकार पर 6 बड़े निर्देश | Tribal Rights Update 2025 📅 दिनांक: 6 जुलाई 2025, पब्लिश date 9जुलाई 2025 📍 स्थान: मुख्यमंत्री निवास, भोपाल, मध्यप्रदेश ✍️ लेखक: TribalRights Team                     🔰 भूमिका मध्यप्रदेश में पेसा कानून और वनाधिकार अधिनियम को ज़मीनी स्तर पर लागू करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। 6 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य स्तरीय टास्क फोर्स समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें आदिवासी स्वशासन, ग्रामसभा की भूमिका और पेसा मोबिलाइज़र्स की सक्रियता पर विशेष ज़ोर दिया गया।             🏛️ बैठक का उद्देश्य मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह पहली बार है जब राज्य सरकार ने पेसा एक्ट, वनाधिकार अधिनियम और ग्रामसभा के अधिकारों पर इतनी केंद्रित चर्चा की है। इस बैठक के प्रमुख उद्देश्य थे: पेसा और वनाधिकार कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन ग्रामसभाओं ...

मध्यप्रदेश में PESA मोबेलाइज़र आंदोलन: ज़िला स्तर पर अवकाश और वेतन वृद्धि की माँग

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  मध्यप्रदेश में PESA मोबेलाइज़र आंदोलन: ज़िला स्तर पर अवकाश और वेतन वृद्धि की माँग प्रकाशित तिथि: [06/07/2025] लेखक: TribalRights.in टीम ✊ एकजुट हो रही है आवाज़: ज़िले-जिले में मोबेलाइज़र अवकाश पर मध्यप्रदेश में PESA एक्ट के तहत कार्यरत हज़ारों मोबेलाइज़र आज वेतन वृद्धि और स्थायित्व की मांग को लेकर आंदोलन के रास्ते पर हैं। कई ज़िलों में मोबेलाइज़र सामूहिक अवकाश पर जा चुके हैं, और कुछ में जल्द ही हड़ताल की योजना बन रही है। यह सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि सम्मान, पहचान और न्याय की पुकार है। 📍 क्या हैं मोबेलाइज़र की मुख्य माँगें?   1. 💰 मानदेय (Payment) में बढ़ोतरी — वर्तमान मानदेय न्यूनतम जीवन यापन के लायक नहीं है 2. 📝 स्थायी नियुक्ति की नीति — वर्षों से सेवा दे रहे कार्यकर्ताओं को अस्थायित्व में रखा गया है 3. 📢 ग्रामसभा अधिकारों की रक्षा में लगे कर्मियों को सरकारी दर्जा — जो संविधान की आत्मा की रक्षा कर रहे हैं, उन्हें मान्यता मिलनी चाहिए 📌 जिलों में आंदोलन की स्थिति जिला                             ...

पेसा कानून: अध्याय 10 – बाजारों तथा मेलों पर नियंत्रण

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पेसा कानून: अध्याय 10 – बाजारों तथा मेलों पर नियंत्रण अधिक जानकारी के लिए मिलिए हमारे दूसरे पोस्ट पर                 परिचय पेसा कानून (PESA Act) का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्वराज देना है। इसमें ग्रामसभा को विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिनमें से एक है स्थानीय बाजारों और मेलों पर नियंत्रण। यह अधिकार पेसा अधिनियम के अध्याय 10 में वर्णित है।                                 🤔🤔 🤔               🤔🤔🤔🤔 बाजारों और मेलों पर नियंत्रण क्यों ज़रूरी है? आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से लगने वाले हाट-बाजार और मेले न केवल व्यापार का साधन हैं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा हैं। लेकिन अक्सर बाहरी व्यापारी इन बाज़ारों में शोषण करते हैं —   कम दामों पर उपज खरीदते हैं, महंगे दामों पर चीजें बेचते हैं, और स्थानीय संस्कृति पर दबाव डालते हैं। 🙏 इसी शोषण को रोकने और ग्रामसभा को मजबूत करने क...

जैव विविधता अधिनियम 2002 और पेसा नियम: ग्रामसभा और आदिवासी समाज की ताक़त

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  जैव विविधता अधिनियम 2002 और पेसा नियम: ग्रामसभा और आदिवासी समाज की ताक़त                       परिचय👇 भारत विश्व के उन देशों में से एक है जहां जैव विविधता सबसे अधिक पाई जाती है। यहां के जंगल, पहाड़, नदी और पारंपरिक समाज इस प्रकृति से जुड़े हुए हैं। खासकर आदिवासी समुदाय ने सदियों से अपनी सांस्कृतिक परंपराओं और ज्ञान से इन प्राकृतिक संसाधनों को बचाकर रखा है। बदलते समय में जब जैव विविधता पर शोषण बढ़ा, तो इसे सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार ने जैव विविधता अधिनियम 2002 लागू किया। इसी तरह, आदिवासी इलाकों में स्वशासन को मजबूत करने के लिए पेसा अधिनियम 1996 बनाया गया, जिसे राज्यों ने अपने-अपने नियमों के जरिए लागू किया। जैव विविधता अधिनियम 2002 क्या है? जैव विविधता अधिनियम 2002 का उद्देश्य है: देश की विविध जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों और परंपरागत ज्ञान को संरक्षित रखना, इन संसाधनों का टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित करना, स्थानीय समुदायों को इन संसाधनों से लाभांश दिलाना। 🇮🇳 इसके लिए तीन स्तरों पर संस्थाएं बनाई गई हैं :🇮🇳  1️⃣ राष्ट्रीय जैव व...

FRA 2006 बनाम PESA कानून 1996 – ग्राम सभा की ताकत और जंगल पर हक का संघर्ष

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FRA 2006 बनाम PESA कानून 1996 – ग्राम सभा की ताकत और जंगल पर हक का संघर्ष ✍️ लेखक: प्रकाश रंजन द्विवेदी 📅 प्रकाशित: जून 2025 🌐 स्रोत: 🇮🇳www.tribalrights.in🇮🇳           🔰 प्रस्तावना 👍भारत में आदिवासी समाज के अधिकारों को लेकर दो ऐतिहासिक कानून बनाए गए – 1. पेसा अधिनियम (PESA Act) – 1996                       V/s 2. वन अधिकार अधिनियम (FRA – Forest Rights Act) – 2006 इन दोनों कानूनों का उद्देश्य है — ग्राम सभा को सशक्त बनाना, जंगल, ज़मीन और संसाधनों पर आदिवासियों को अधिकार देना। लेकिन आज भी कई जगहों पर दोनों कानून आपस में उलझ जाते हैं, या लागू ही नहीं किए जाते। 🟢 PESA कानून 1996 क्या है? पूरा नाम: Panchayats (Extension to the Scheduled Areas) Act, 1996 लागू क्षेत्र: अनुसूचित क्षेत्र (Fifth Schedule Areas) मुख्य उद्देश्य: ग्राम सभा को प्रशासनिक और आर्थिक अधिकार देना ⚖️ PESA की मुख्य बातें: ग्राम सभा को प्राकृतिक संसाधनों का स्वामित्व लघु वनोपज पर स्वयं निर्णय लेने का हक भूमि अधिग्रहण पर ग्राम सभा की सहमत...

पेसा एक्ट 2022: आदिवासी स्वराज की ओर बढ़ता जनपद पाली, जिला उमरिया का प्रेरक मॉडल

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पेसा एक्ट 2022: आदिवासी स्वराज की ओर बढ़ता जनपद पाली, जिला उमरिया का प्रेरक मॉडल लेखक: प्रकाश रंजन द्विवेदी ब्लॉग: TribalRights.in             🔰 प्रस्तावना : भारत के संविधान के अनुच्छेद 244 के अंतर्गत बने पेसा अधिनियम 1996 ने अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज को ग्रामसभा के माध्यम से स्वशासन का अधिकार दिया। मध्यप्रदेश सरकार ने 2022 में इसके नियम लागू कर पेसा कानून को ज़मीन पर सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया। इस लेख में हम जानेंगे कि जनपद पंचायत पाली , जिला उमरिया ने कैसे इस कानून को प्रभावी रूप से लागू किया और ग्रामसभाओं को सशक्त बनाया। 🏞 1. क्षेत्रीय विवरण और पेसा नियमों का प्रारंभ जनपद पंचायत पाल में कुल 44 पंचायतों के अंतर्गत 105 राजस्व ग्राम हैं, जिनमें से 100 ग्रामों में पेसा कानून लागू है क्योंकि वहाँ अनुसूचित जनजातियों की उपस्थिति है। नवंबर 2022 से पहले चरण में ग्रामसभाओं का गठन कर  (ग्रामवासी) प्रशिक्षण व जागरूकता अभियान चलाया गया। 👥 2. ग्रामसभा की संरचना और अधिकार ग्रामसभा का अध्यक्ष कोई निर्वाचित पंच, सरपंच या उपसरपंच नहीं होगा। ...