पेसा एक्ट 2022: आदिवासी स्वराज की ओर बढ़ता जनपद पाली, जिला उमरिया का प्रेरक मॉडल


पाली




पेसा एक्ट 2022: आदिवासी स्वराज की ओर बढ़ता जनपद पाली, जिला उमरिया का प्रेरक मॉडल

लेखक: प्रकाश रंजन द्विवेदी

ब्लॉग: TribalRights.in

            🔰 प्रस्तावना:


भारत के संविधान के अनुच्छेद 244 के अंतर्गत बने पेसा अधिनियम 1996 ने अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज को ग्रामसभा के माध्यम से स्वशासन का अधिकार दिया। मध्यप्रदेश सरकार ने 2022 में इसके नियम लागू कर पेसा कानून को ज़मीन पर सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया। इस लेख में हम जानेंगे कि जनपद पंचायत पाली, जिला उमरिया ने कैसे इस कानून को प्रभावी रूप से लागू किया और ग्रामसभाओं को सशक्त बनाया।


🏞 1. क्षेत्रीय विवरण और पेसा नियमों का प्रारंभ


जनपद पंचायत पाल में कुल 44 पंचायतों के अंतर्गत 105 राजस्व ग्राम हैं, जिनमें से 100 ग्रामों में पेसा कानून लागू है क्योंकि वहाँ अनुसूचित जनजातियों की उपस्थिति है।

नवंबर 2022 से पहले चरण में ग्रामसभाओं का गठन कर  (ग्रामवासी) प्रशिक्षण व जागरूकता अभियान चलाया गया।


👥 2. ग्रामसभा की संरचना और अधिकार


ग्रामसभा का अध्यक्ष कोई निर्वाचित पंच, सरपंच या उपसरपंच नहीं होगा।


ग्रामसभा को जल, जंगल, जमीन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और मादक पदार्थ नियंत्रण जैसे विषयों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है।


भूमि अधिग्रहण जैसे मामलों में ग्रामसभा की सहमति अनिवार्य होगी।


न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज का संकलन व विक्रय ग्रामसभा की निगरानी में होगा।


      3. समितियों का गठन


जनपद पाली में लगभग 106 ग्रामसभाओं में पेसा के अंतर्गत निम्न समितियों का गठन किया गया:


1. शांति एवं विवाद निवारण समिति



2. वन संसाधन योजना एवं नियंत्रण समिति



3. मादक पदार्थ नियंत्रण समिति



4. मातृसहयोगिनी समिति



5. जल संसाधन योजना समिति



6. ग्रामसभा निधि समिति



7. खान एवं खनिज समिति



8. तदर्थ समिति



9. बाजार नियंत्रण समिति


                   जमीनी हकीकत👇

🌳  लघु वनोपज प्रबंधन


ग्रामसभा द्वारा महुआ, गोंद, बहेरा, हर्रा, करंज बीज आदि का संकलन, मूल्य निर्धारण और विपणन स्वयं किया जा रहा है।


धौरई, मोहतराई, बड़वाह जैसे ग्रामों में तेंदूपत्ता संकलन के लिए ग्रामसभा से सहमति लेकर कार्य हुआ।



  शांति एवं विवाद निवारण समिति के उदाहरण


सलैया-1 में पारिवारिक विवाद का समाधान कर 1000 रुपये का अर्थदंड पेसा नियमों के तहत वसूला गया।


गोयरा ग्राम में शंभू बैगा और रघुनाथ बैगा के बीच हुए झगड़े का समाधान ग्रामसभा ने आपसी समझौते से किया और चिकित्सा हेतु आर्थिक सहायता भी प्रदान की।


💧 6. जल संसाधन और मछली पालन


हथपुरा, गजर, पहाड़िया जैसे ग्रामों में अमृत सरोवरों में मछली पालन के लिए महिला आजीविका समूहों को पट्टा दिया गया।


            विशेष उपलब्धियाँ


 लगभग 7 नए ग्रामसभाओं का गठन


75+ विवादों का समाधान


16 ग्रामसभाओं में तेंदूपत्ता संकलन का प्रस्ताव


 लगभग 125 मातृसहयोगिनी समितियाँ


हर ग्रामसभा के लिए ग्रामसभा निधि खाता संचालित किया जा रहा है।


अवैध रेत खनन पर ग्रामसभाओं द्वारा कार्रवाई।


                   निष्कर्ष


जनपद पंचायत पाली, उमरिया जिले का यह मॉडल यह सिद्ध करता है कि जब ग्रामसभा को संवैधानिक अधिकार और जिम्मेदारी दोनों दी जाती है, तो वह स्थानीय विकास, वन अधिकार और सामाजिक न्याय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।


                          सुझाव


अन्य जनपदों को भी जनपद पाली के मॉडल का अध्ययन कर स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देना चाहिए।


ग्रामसभा की त्रैमासिक बैठकें, महिलाओं की भागीदारी, और लघु वनोपज का स्थानीय विपणन इन प्रयासों की सफलता की कुंजी है।

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