पेसा कानून: अध्याय 10 – बाजारों तथा मेलों पर नियंत्रण
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परिचय
पेसा कानून (PESA Act) का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्वराज देना है। इसमें ग्रामसभा को विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिनमें से एक है स्थानीय बाजारों और मेलों पर नियंत्रण। यह अधिकार पेसा अधिनियम के अध्याय 10 में वर्णित है। 🤔🤔 🤔 🤔🤔🤔🤔
बाजारों और मेलों पर नियंत्रण क्यों ज़रूरी है?
आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से लगने वाले हाट-बाजार और मेले न केवल व्यापार का साधन हैं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा हैं। लेकिन अक्सर बाहरी व्यापारी इन बाज़ारों में शोषण करते हैं —
कम दामों पर उपज खरीदते हैं, महंगे दामों पर चीजें बेचते हैं, और स्थानीय संस्कृति पर दबाव डालते हैं।
🙏इसी शोषण को रोकने और ग्रामसभा को मजबूत करने के लिए यह प्रावधान लाया गया।🙏
🇮🇳 पेसा के तहत ग्रामसभा को क्या अधिकार हैं?🇮🇳
🌹1. स्थानीय हाट-बाजारों का संचालन ग्रामसभा की निगरानी में हो।
🌹2. बाहरी व्यापारियों के प्रवेश पर ग्रामसभा का नियंत्रण हो।
🌹3. स्थानीय उत्पाद (जैसे महुआ, लाख, तेंदूपत्ता) का उचित मूल्य तय करने का अधिकार।
🌹4. मेले की तिथि, स्थान और नियम ग्रामसभा तय करे।
🌹5. अवैध व्यापार, शराब बिक्री या शोषण के मामलों में ग्रामसभा कार्यवाही कर सकती है।
🇮🇳ग्रामसभा का रोल और जागरूकता🇮🇳
🇮🇳जब ग्रामसभा सक्रिय होती है, तो –🇮🇳
🇮🇳बिचौलिए खत्म होते हैं।🇮🇳
🇮🇳स्थानीय लोगों को सही दाम मिलता है।🇮🇳
🇮🇳कलात्मक वस्तुओं की पहचान बढ़ती है।🇮🇳
🇮🇳युवाओं को रोजगार के अवसर मिलते हैं।🇮🇳
🌹लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि ग्रामसभा खुद जागरूक हो, और पेसा कानून के इस अधिकार का उपयोग करना सीखे।
सरकार और प्रशासन की भूमिका
प्रशासन को चाहिए कि वो ग्रामसभाओं को प्रशिक्षित करें
मेलों और हाटों में ग्रामसभा की अनुमति के बिना ठेके ना दें
स्थानीय संस्कृति को बचाने की दिशा में सहयोग करें
निष्कर्ष
👎
पेसा कानून के तहत बाजारों और मेलों पर ग्रामसभा का नियंत्रण एक ऐतिहासिक कदम है।
यह न सिर्फ आर्थिक आज़ादी देता है, बल्कि आदिवासी समाज की आत्मनिर्भरता और सम्मान की रक्षा भी करता है। अब समय है कि हम सभी इस अधिकार को समझें, अपनाएं और लागू करें।
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