FRA 2006 बनाम PESA कानून 1996 – ग्राम सभा की ताकत और जंगल पर हक का संघर्ष
FRA 2006 बनाम PESA कानून 1996 – ग्राम सभा की ताकत और जंगल पर हक का संघर्ष
✍️ लेखक: प्रकाश रंजन द्विवेदी
📅 प्रकाशित: जून 2025
🌐 स्रोत: 🇮🇳www.tribalrights.in🇮🇳
🔰 प्रस्तावना
👍भारत में आदिवासी समाज के अधिकारों को लेकर दो ऐतिहासिक कानून बनाए गए –
1. पेसा अधिनियम (PESA Act) – 1996
V/s
2. वन अधिकार अधिनियम (FRA – Forest Rights Act) – 2006
इन दोनों कानूनों का उद्देश्य है — ग्राम सभा को सशक्त बनाना, जंगल, ज़मीन और संसाधनों पर आदिवासियों को अधिकार देना।
लेकिन आज भी कई जगहों पर दोनों कानून आपस में उलझ जाते हैं, या लागू ही नहीं किए जाते।
🟢 PESA कानून 1996 क्या है?
पूरा नाम: Panchayats (Extension to the Scheduled Areas) Act, 1996
लागू क्षेत्र: अनुसूचित क्षेत्र (Fifth Schedule Areas)
मुख्य उद्देश्य: ग्राम सभा को प्रशासनिक और आर्थिक अधिकार देना
⚖️ PESA की मुख्य बातें:
ग्राम सभा को प्राकृतिक संसाधनों का स्वामित्व
लघु वनोपज पर स्वयं निर्णय लेने का हक
भूमि अधिग्रहण पर ग्राम सभा की सहमति अनिवार्य
सामाजिक न्याय, परंपरागत शासन प्रणाली को मान्यता
👉 मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्यों में PESA लागू है।
🌿 FRA 2006 क्या है?
पूरा नाम: The Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act, 2006
लागू क्षेत्र: पूरे भारत में (Forest Areas में)
मुख्य उद्देश्य: जंगल में रहने वाले आदिवासियों और पारंपरिक वनवासी परिवारों को उनके परंपरागत अधिकार वापस देना
🌳 FRA के मुख्य अधिकार:
व्यक्तिगत वन अधिकार – खेती और निवास के लिए जमीन
सामुदायिक वन अधिकार (CFR) – जल, जंगल, ज़मीन पर ग्रामसभा का स्वामित्व
वन प्रबंधन में भागीदारी – वनोपज की बिक्री, संरक्षण
वन भूमि पर कब्जे का वैधता प्रमाणन
🇮🇳FRA बनाम PESA – मुख्य अंतर
🔹 **कब बना**
- PESA Act 1996: 1996
- FRA 2006: 2006
🔹 **लागू क्षेत्र**
- PESA Act 1996: केवल Fifth Schedule वाले जिले
- FRA 2006: सभी राज्य (जहां वन क्षेत्र हैं)
🔹 **फोकस**
- PESA Act 1996: ग्राम शासन और प्रशासन
- FRA 2006: जंगल और भूमि अधिकार
🔹 **मुख्य संस्था**
- PESA Act 1996: ग्राम सभा (Panchayat)
- FRA 2006: ग्राम सभा (Forest Rights Committee)
🔹 **प्राकृतिक संसाधन**
- PESA Act 1996: लघु वनोपज, जल, खनिज
- FRA 2006: जल, जंगल, ज़मीन, जीविका
🏹 टकराव की स्थिति क्यों?
FRA कहता है: ग्राम सभा को जंगल पर अधिकार है
PESA कहता है: ग्राम पंचायत को स्थानीय शासन का हक है
➡️ लेकिन जमीनी स्तर पर कभी-कभी वन विभाग, पंचायत, और राजस्व विभाग में टकराव हो जाता है
उदाहरण:
👉 अगर ग्राम सभा ने लघु वनोपज का व्यापार किया लेकिन वन विभाग ने रोका, तो सवाल उठता है — FRA लागू होगा या PESA?
समाधान क्या है?
1. दोनों कानूनों की समानांतर पहचान हो
2. ग्राम सभा को संयुक्त रूप से FRA और PESA दोनों के तहत शक्तियां दी जाएं
3. ग्राम सभा का प्रशिक्षण – दोनों कानूनों को समझने के लिए
4. वन विभाग और पंचायतों में समन्वय हो
📣 ग्रामसभा के लिए सुझाव
FRA के तहत CFR (Community Forest Rights) जरूर मांगे
PESA के तहत पंचायतों से लघु वनोपज का निर्णय लें
दोनों कानूनों को सामूहिक रूप से लागू कराने का प्रयास करें
निष्कर्ष
FRA और PESA — दोनों कानून आदिवासियों के अधिकारों की नींव हैं।
जहां FRA जंगल और जीविका की बात करता है, वहीं PESA ग्राम शासन और निर्णय प्रक्रिया को मज़बूत करता है।
अगर इन दोनों को साथ लाया जाए तो आदिवासी स्वराज का सपना सच हो सकता है।
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