अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि हस्तांतरण पर प्रतिबंध | MP PESA नियम 2022 की धारा 4 की समझ

जिला डिंडोरी

अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि हस्तांतरण पर प्रतिबंध | MP PESA नियम 2022 की धारा 4 की समझ

                 🟩 प्रस्तावना:👇

भारत में आदिवासी समाज की पहचान उसकी भूमि, जल, जंगल से जुड़ी हुई है। लेकिन वर्षों से आदिवासियों की भूमि उनसे छीनी जाती रही। इसी अन्याय को रोकने के लिए मध्यप्रदेश में PESA नियम 2022 लाए गए। इनमें भूमि प्रबंधन से जुड़ी धारा 4 विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

          🔷 धारा 4 का उद्देश्य:


PESA नियम 2022 की धारा 4 का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की भूमि की रक्षा करना है। इसके अनुसार:

                          👇
 ✅ "अनुसूचित क्षेत्रों में कोई भी भूमि गैर-आदिवासी व्यक्ति या संस्था को बेची नहीं जा सकती।"


    🔍 क्या कहता है नियम?


MP PESA नियम 2022 (भूमि प्रबंधन - अध्याय 4) में यह स्पष्ट किया गया है कि:


कोई भी व्यक्ति, जो आदिवासी नहीं है, आदिवासी से भूमि नहीं खरीद सकता।


ग्रामसभा की अनुमति के बिना भूमि हस्तांतरण (transfer) नहीं हो सकता।


यदि जबरन भूमि ली गई है, तो ग्रामसभा उसे वापस दिलाने के लिए कार्रवाई कर सकती है।                                                

   🔹 ग्रामसभा की भूमिका:


ग्रामसभा यह तय करेगी कि कोई भूमि किसी को हस्तांतरित हो सकती है या नहीं।


यह सुनिश्चित करेगी कि आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन न हो।


ज़मीन के हर सौदे की जानकारी पहले ग्रामसभा को देना अनिवार्य होगा।


         📌 स्थानीय उदाहरण


🧾 उदाहरण 1: डिंडोरी ज़िले का केस (भूमि वापसी की ग्रामसभा पहल)


ग्राम - अंजनिया, जिला - डिंडोरी (म.प्र.)

यहां एक आदिवासी किसान ने साहूकार से कर्ज लेकर अपनी ज़मीन गिरवी रख दी थी। साहूकार ने बाद में ज़मीन पर कब्जा कर लिया और अपने नाम  कराने की कोशिश की।

लेकिन जब ग्रामसभा को यह जानकारी मिली, तो उन्होंने PESA नियम के तहत कार्रवाई की।

ग्रामसभा ने तहसीलदार और जनपद को आवेदन देकर ज़मीन की मूल मालिक को वापसी सुनिश्चित कराई।

👉 यह एक मजबूत उदाहरण है कि कैसे ग्रामसभा भूमि रक्षा में अपनी शक्ति का उपयोग कर सकती है।

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🧾 उदाहरण 2: बालाघाट ज़िले में बाहरी खरीदार को रोका गया


ग्राम - बिरसा, जिला - बालाघाट (म.प्र.)

यहां एक गैर-आदिवासी व्यवसायी ने गांव के आदिवासी किसान से ज़मीन खरीदने की कोशिश की।

लेकिन जैसे ही गांव वालों को जानकारी मिली, ग्रामसभा ने बैठक बुलाई और स्पष्ट रूप से सौदे को अस्वीकृत (reject) कर दिया।

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बाद में SDM कार्यालय ने भी PESA नियम 2022 के तहत यह सौदा अवैध घोषित कर दिया।


👉 यह उदाहरण दिखाता है कि ग्रामसभा यदि सतर्क हो तो गैर-आदिवासी भूमि कब्जा करने से रोका जा सकता है।

    🟢 क्यों जरूरी है यह प्रतिबंध?


1. आदिवासियों की पहचान और आजीविका भूमि से जुड़ी है।



2. बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीदने से आदिवासी विस्थापित होते हैं।



3. ज़मीन बची रहेगी, तभी संस्कृति और जीवनशैली बची रहेगी।


                  निष्कर्ष:

MP PESA नियम 2022 की धारा 4 आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा की एक मजबूत दीवार है। ग्रामसभा को सशक्त बनाकर, इस नियम ने यह सुनिश्चित किया है कि अनुसूचित क्षेत्रों की भूमि केवल वहीं के निवासियों की रहे।


👉 अब ज़रूरत है इस नियम की सही जानकारी और कड़ाई से पालन की।


                🖋 लेखक सुझाव:

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यदि आप आदिवासी क्षेत्र से हैं, तो अपनी ग्रामसभा को इस नियम की जानकारी ज़रूर दें।
और अपने अधिकारों के लिए जागरूक रहें, आवाज़ उठाएं।   
   


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