भारत के किन-किन राज्यों में लागू है पेसा कानून? | PESA Act in India – Full Details with Examples
🧭 भारत के किन-किन राज्यों में लागू है पेसा कानून? | PESA Act in India – Full Details with Examples
भारत एक विविधताओं वाला देश है, जहाँ हर क्षेत्र की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति अलग-अलग है। आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए 1996 में भारत सरकार ने "पेसा कानून" बनाया।
लेकिन क्या यह कानून पूरे भारत में लागू है? नहीं! यह सिर्फ कुछ चुनिंदा राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों (Scheduled Areas) में लागू है।
इस लेख में हम जानेंगे:
✅ पेसा क्या है?
✅ किन राज्यों में लागू है?
✅ इसका प्रभाव और उदाहरण
✅ चुनौतियाँ और सुझाव
📜 पेसा क्या है?
PESA यानी “Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act – 1996”
यह एक केंद्रीय कानून है, जो संविधान के 73वें संशोधन के बाद बनाया गया। इसका उद्देश्य यह है कि अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन (Self-Governance) का अधिकार दिया जाए।
> मुख्य बात: पेसा ग्रामसभा को विशेष अधिकार देता है – जैसे जंगल, जमीन, खनिज, संस्कृति और संसाधनों पर निर्णय लेने का अधिकार।
🗺 भारत में पेसा कहाँ-कहाँ लागू है?
भारत सरकार ने संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत 9 राज्यों के कुछ जिलों को "अनुसूचित क्षेत्र" घोषित किया है। इन्हीं राज्यों में पेसा कानून लागू होता है।
👇 नीचे राज्यों की सूची और कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:
राज्य
पेसा लागू होने का वर्ष
प्रमुख आदिवासी समुदाय
प्रमुख जिले
1. मध्य प्रदेश
1997 (नियम – 2022)
गोंड, बैगा, भारिया
डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, शहडोल और भी कुल 20 जिला
2. छत्तीसगढ़
2001
गोंड, मुरिया, हल्बा
बस्तर, सुकमा, कांकेर कुल 14 जिला
3. झारखंड
2001
संथाल, मुंडा, हो
सिंहभूम, दुमका, गढ़वा कुल 13 जिला
4. ओडिशा
2001
भूमिज, सौंरा, कंध
कालाहांडी, मलकानगिरी कुल 9 जिला
5. महाराष्ट्र
1998
कोरकू, गोंड, भील
गढ़चिरौली, नंदुरबार कुल 9 जिला
6. गुजरात
1998
डांग, भील, गरासिया
डांग, नर्मदा, पंचमहल
7. राजस्थान
1999
मीणा, भील, गरासिया
डूंगरपुर, बांसवाड़ा टोटल 5जिला
8. आंध्र प्रदेश
1998
कोया, रेड्डी विशाखापत्तनम, श्रीकाकुलम कुल 5 जिला
9. हिमाचल प्रदेश
2001
गद्दी, गुज्जर
किन्नौर, लाहौल-स्पीति
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कोई अनुसूचित क्षेत्र नहीं, इसलिए वहाँ PESA लागू नहीं होता।
🔍 फिर हिमाचल प्रदेश में आदिवासी अधिकार कैसे संरक्षित होते हैं?
हिमाचल में कुछ जनजातियाँ जैसे गुज्जर, गद्दी, लाहौली, पांगी, आदि निवास करती हैं, लेकिन वे अनुसूचित क्षेत्र की श्रेणी में नहीं आते।
इन समुदायों के अधिकार अन्य कानूनों जैसे कि:
अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act)
वन अधिकार अधिनियम 2006 (FRA)
स्थानीय पंचायत अधिनियम के तहत संरक्षित किए जाते हैं।
👉तेलंगाना (AP से अलग होकर बना)
🏞 उदाहरण से समझिए – पेसा का असर कैसे दिखता है?
✅ उदाहरण 1: मध्यप्रदेश – ग्रामसभा की ताकत
2023 में डिंडोरी जिले के एक गाँव में ग्रामसभा ने फैसला लिया कि गाँव के जंगल से कटने वाली बांस की बिक्री ग्रामसभा करेगी, और उससे होने वाली आय को गाँव के स्कूल और पेयजल व्यवस्था में लगाया जाएगा।
>. पेसा का असली उद्देश्य है – जनजातीय समाज द्वारा अपने संसाधनों का नियोजन।
✅ उदाहरण 2: महाराष्ट्र – गढ़चिरौली मॉडल
गढ़चिरौली जिले की ग्रामसभाओं ने तेंदूपत्ता और बांस की बिक्री स्वयं की, जिससे प्रति गाँव 20 लाख रुपये से ज़्यादा की आमदनी हुई। इससे गाँवों में सड़कें, नालियाँ और स्कूल बनाए गए।
⚖️ हर राज्य में क्या स्थिति है?
✅ मध्यप्रदेश ने 2022 में पेसा के नियम बना दिए हैं। अब ग्रामसभा को जंगल, खनिज, शराब दुकान इत्यादि पर निर्णय का अधिकार मिला है।
❌ गुजरात, राजस्थान, ओडिशा जैसे राज्यों में अभी भी पूर्ण रूप से पेसा का क्रियान्वयन नहीं हुआ है। ग्रामसभा की भूमिका सिर्फ कागज़ों तक सीमित है।
🚫 पेसा लागू करने में क्या समस्याएँ हैं?
1. जनजातीय लोगों को जानकारी नहीं है कि उनके अधिकार क्या हैं।
2. स्थानीय प्रशासन या ठेकेदार ग्रामसभा के निर्णयों को नहीं मानते।
3. कई जगहों पर राज्य सरकारों ने पेसा के नियम नहीं बनाए या आधे-अधूरे नियम हैं।
4. शिक्षा और प्रशिक्षण की कमी के कारण ग्रामसभा कमजोर है।
🌱 पेसा का उद्देश्य क्या है?
> “पेसा का उद्देश्य यह है कि आदिवासी अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा के अनुसार शासन करें, और उनके संसाधनों पर किसी बाहरी का नहीं, बल्कि उनका खुद का नियंत्रण हो।”
🧭 समाधान और सुझाव:
✔️ ग्रामसभा को वास्तविक अधिकार देना होगा, न कि केवल कागज़ पर।
✔️ ग्रामवासियों को पेसा और उनके अधिकारों की जानकारी दी जाए (लोक जागरूकता अभियान)।
✔️ राज्य स्तर पर निगरानी समितियाँ बनाई जाएँ जो पेसा के क्रियान्वयन को देखें।
✔️ सरपंच, सचिव और पटवारी को पेसा की विशेष ट्रेनिंग दी जाए।
📢 निष्कर्ष:
पेसा कानून भारत के 9 राज्यों में लागू है, लेकिन इसका सही फायदा तभी मिलेगा जब ग्रामसभा सशक्त होगी, और जब आदिवासी समुदाय खुद अपने विकास के निर्णय लेने लगेंगे।
पेसा केवल एक कानून नहीं है – यह आदिवासी समाज की आत्मा है, जिसे जीवित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
📌 आपका सुझाव
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