पेसा कानून क्या है? | 1996 में हुआ 10वां आदिवासी संसोधन
क्या आप जानते हैं कि 1996 में भारत के संविधान में एक ऐसा कानून बना, जो आदिवासियों को उनके गांव और संसाधनों पर पूरा अधिकार देता है?
यह कानून है – पेसा कानून (PESA Act)।
पेसा कानून की शुरुआत कैसे हुई?
आज़ादी के बाद आदिवासियों की स्थिति नहीं सुधरी।
उनकी ज़मीन छीनी गई, जंगलों में प्रवेश रोका गया, और उनके संसाधनों पर बाहरी लोगों का कब्जा हो गया।
1990 के दशक में आंदोलन तेज हुए, और तब बनी एक ऐतिहासिक समिति – भूरिया समिति।
भूरिया समिति: एक मील का पत्थर
1994 में केंद्र सरकार ने सांसद श्री दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में यह समिति बनाई।
समिति ने सुझाव दिया कि ग्रामसभा ही आदिवासी इलाकों की असली सरकार होनी चाहिए।
समिति की रिपोर्ट के आधार पर बना पेसा कानून, 1996।
पेसा कानून के अधिकार:
1. ग्रामसभा की सर्वोच्चता –
ग्रामसभा बिना अनुमति कोई काम नहीं होगा।
2. जमीन का मालिकाना हक –
आदिवासियों की ज़मीन कोई नहीं ले सकता।
3. जल, जंगल, ज़मीन पर अधिकार –
वन उपज का संग्रहण, बिक्री और उपयोग ग्रामसभा तय करेगी।
4. संस्कृति और रीति-रिवाज़ की रक्षा –
बाहरी हस्तक्षेप से संरक्षण।
5. स्थानीय न्याय –
ग्रामसभा द्वारा परंपरागत न्याय प्रणाली को मान्यता।
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स्वर्गीय माननीय भूरिया जी पेसा एक्ट आदिवासियों के हित का 10 वा संसोधन |
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